THE GREATEST GUIDE TO BHAIRAV KAVACH

The Greatest Guide To bhairav kavach

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तस्मात् सर्वप्रयत्नेन दुर्लभं पापचेतसाम्

कुंकुमेनाप्टगन्धेन गोरोचनैश्च केशरैः।

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं more info उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'  

ॐ ह्रीं विश्वनाथः सदा पातु सर्वाङ्गं मम सर्वदः ॥ १५॥

तस्मात्सर्वप्रयत्नेन दुर्लभं पापचेतसाम् ॥ १७॥



नागं घण्टां कपालं करसरसिरुहैर्विभ्रतं भीमदंष्ट्रं

भीषणो भैरवः पातु उत्तरस्यां तु सर्वदा ।

हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥

सततं पठ्यते यत्र तत्र भैरव संस्थितिः।।

वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः ॥

नाख्येयं नरलोकेषु सारभूतं सुरप्रियम्।।

ध्यायेन्नीलाद्रिकान्तं शशिशकलधरं मुण्डमालं महेशं

षडङ्गसहितो देवो नित्यं रक्षतु भैरवः ॥ १२॥

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